dशुरू भी न हुए और ख़त्म हो गए , कुछ अफ़साने कविताओं में लिखे मैंने , पन्नों पर ही रह गए ........ वो आये थे हमारा साथ निभाने , कोशिश अच्छी की पर खुदगर्ज़ हो गए , खुद तो तन्हा हुए ही ,हमे और भी तन्हा कर गए .... समझदार थे बहुत बस एक गलती कर गए , हमने कहा था दिल टूटा हुआ है , बोले अभी ठीक किये देते हैं , नीम हकीम उल्टा जोड़ गए ............ पहले गम बाँट लो तो, हल्का महसूस होता था .... पर वो तो कुछ ऐसा कर गए , कि हम , ना हसे , ना रोये ना जागे, ना सोये कहीं दिल ही नहीं लगा , और कुछ अधूरे से हो गए ............................
An effort to frame overwhelmed phases ,often to thank friends around .. Sometimes to draw lines and sometimes to erase...