dशुरू भी न हुए और ख़त्म हो गए ,
कुछ अफ़साने कविताओं में लिखे मैंने ,
पन्नों पर ही रह गए ........
कोशिश अच्छी की पर खुदगर्ज़ हो गए ,
खुद तो तन्हा हुए ही ,हमे और भी तन्हा कर गए ....
समझदार थे बहुत बस एक गलती कर गए ,
हमने कहा था दिल टूटा हुआ है ,
बोले अभी ठीक किये देते हैं ,
नीम हकीम उल्टा जोड़ गए ............
पहले गम बाँट लो तो, हल्का महसूस होता था ....
पर वो तो कुछ ऐसा कर गए ,
कि हम ,
ना हसे , ना रोये
ना जागे, ना सोये
कहीं दिल ही नहीं लगा ,
और कुछ अधूरे से हो गए ............................
और कुछ अधूरे से हो गए ............................
:) beautiful composition...
ReplyDeletereally pleased to read new chapter of your poetry!!
PS: i guess listening to lots of Jagjit Singh stuff nowadays..
nice 2 c a post in mothertongue...
ReplyDeleteThankyou sweeties ... Deep and AK...
ReplyDeleteits Midnight composition..and your appraisal would make it stay ...:)
It was damn gud dear.. i didnt expect this frm u.. bt its gud to see that whtever u do leaves a very nice impression on evryone.. so jst keep up the gud work nd keep experimenting with newer forms of writing nd i jst love u fr whtever u do.. :)
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