कुछ दुःख ऐसे होते हैं , जिन्हें शब्द नहीं कह पाते, हाव-भाव कह देते हैं , ये दुःख गहरे होते हैं .... कभी भर जाते हैं, कभी खली कर जाते हैं, कभी कुछ पल की बात , कभी एक लम्बी रात .... सब का अपना अपना मिजाज़ , कभी कहानी कभी अलफ़ाज़ , ज्यादातर तोड़ देते हैं, या नए रिश्ते जोड़ देते हैं... हमारी पहचान कराते हैं, तुमसे और दोस्तों से मिलवाते हैं, सबको मौका देते हैं, यादे ताज़ा कर देते हैं, सब दुःख अपने हो जाते हैं, सब्र से दोस्ती करवाते हैं, दुःख में तो सभी रो देते हैं, हमारी तरक्की पे जो खुश हुए वो दोस्त होते हैं, ये जानते हुए भी , सबकी ख़ुशी में चेहरा खिल नहीं पाता, दुःख में जो रोया अक्सर वो ही हमदर्द बन जाता... तुम्हारा दुःख बाँट पायें, तो खुद को खुशनसीब समझें, तुम्हें और कुछ तो हम क्या दें, बस दुआ है की दुःख कम दें ... कितना अच्छा हो अगर ये दुःख... मेहमान बनके आते रहें, बस सीख दें और जाते रहें. ज़रूरत तो इनकी भी है मगर, दूर से ही डराते रहें.... तुम्हें और...
An effort to frame overwhelmed phases ,often to thank friends around .. Sometimes to draw lines and sometimes to erase...